पापा तुम क्यूँ मुझसे दूर गए?
भूल गयी मै तबसे हंसना
आँख रोज भर आती है
सच कहती हूँ पापा,एकदम
पंजीरी अब नहीं भाती है
मिल न पाऊ,मै अब तुमसे
हो कितने हम मजबूर गए
पापा क्यूँ तुम मुझसे दूर गए?
क्या याद नहीं आती मेरी
क्यूँ भूल गए अपनी लाडो को
देख नहीं सकते थे जिसको,गुमसुम
उसको रोता कैसे छोड़ गए
पापा तुम क्यूँ मुझसे दूर गए?
कोई नहीं सुनता मेरी ज़िद
जैसे पापा तुम सुनते थे
मेरी रहो के कांटे भी
तुम पलको से चुनते थे
क्यूँ छोड़ अकेला मुझे दिया
क्यूँ तोड़ के हर दस्तूर गए
पापा तुम मुझसे क्यूँ दूर गए?
कितनी सुन्दर दिखती थी माँ
बड़ा सा टीका एक लगाती थी
भर हाथ पहने थी चूड़ियाँ
तुम को वो कितना भाती थी
माँ की टूटी सभी चूड़ियाँ
ले माँ का क्यूँ सिंदूर गए
पापा तुम क्यूँ मुझसे दूर गए?