आज सुबह नहाते हुए
धो डाले सारे गम,अफ़सोस
नए कपड़ो सा ओढ़ लिया
प्यार,ख़ुशी और अपनापन
आखिर कब तक कोई
मनाये सोग अपनी अधूरी
ख्वाईशों,अधूरे सपनो का
सो छोड़ दिया उन्हें
केंचुली सा उतार दिया
और अब नए कलेवर में
नयी हसरतों का मजमा है
जिंदगी को देखने के लिए
नज़र पे आज नया चश्मा है
हसीन लग रही है……..?
या मान लिया है इसको हसीन…
चलो जो भी हुआ,भूल जाओ
नयी जिंदगी,नयी खुशियों
नयी उमंगों का जश्न मनाओ
जब तक ये बदल न जाये
फिर से अधूरेपन में….
कम से कम तब तक तो
ऐ दिल इनका लुत्फ़ उठाओ..
क्यूंकि आज सुबह नहाते हुए
धो डाले सारे गम,अफ़सोस
नए कपड़ो सा ओढ़ लिया
प्यार,ख़ुशी और अपनापन………