यादों के ऊँचे बबूल उग आये है दिल की पथरीली जमीन पर
साया ढूँढती हसरते,तड़पते जज़्बात,चुनते है ख़ार अब दिन रात
जिक्रे मोहब्बत जो कभी होता है कहीं,ख़ामोश लौट आते है बज़्म से
सिहरा सा गुजरता है वो दिन,बहुत थर्राती है वो रात
खुद ही बना लिया नामालूम सा जहान,भटकते रहते है हर पल
खोजते फिरते है खुद को,अजनबी हर है शै,उलझी हुयी हर बात
एक खुदा हो तो इबादत करे कोई, उलझन बड़ी है समझे कहाँ कोई
किसको अब सजदे करे किसको खुदा कहे,बड़े मुश्किल से है हालत
तू बेवफा है की बावफा,क्यूँ सोचूं रात दिन,पालू क्यूँ ये फितूर
मेरी मोहब्बत की तासीर अलग,सनम तेरे जुदा से है हालत
तन को बनाया मोम,और खुद को गला दिया
जलते रहते हैं सनम, शम्मा की मानिंद सारी रात
तू अपनी धुन में मस्त,हम तेरी फिकर में हैं गुम
तन्हा यहाँ है हम तू जाने कहाँ बसर करके आया रात
दस्ताने मोहब्बत अपनी बस इतनी सी है ऐ सनम
तू जहर दे तेरी ख़ुशी,चाहे पिला दे आब-ऐ-हयात....
साया ढूँढती हसरते,तड़पते जज़्बात,चुनते है ख़ार अब दिन रात
जिक्रे मोहब्बत जो कभी होता है कहीं,ख़ामोश लौट आते है बज़्म से
सिहरा सा गुजरता है वो दिन,बहुत थर्राती है वो रात
खुद ही बना लिया नामालूम सा जहान,भटकते रहते है हर पल
खोजते फिरते है खुद को,अजनबी हर है शै,उलझी हुयी हर बात
एक खुदा हो तो इबादत करे कोई, उलझन बड़ी है समझे कहाँ कोई
किसको अब सजदे करे किसको खुदा कहे,बड़े मुश्किल से है हालत
तू बेवफा है की बावफा,क्यूँ सोचूं रात दिन,पालू क्यूँ ये फितूर
मेरी मोहब्बत की तासीर अलग,सनम तेरे जुदा से है हालत
तन को बनाया मोम,और खुद को गला दिया
जलते रहते हैं सनम, शम्मा की मानिंद सारी रात
तू अपनी धुन में मस्त,हम तेरी फिकर में हैं गुम
तन्हा यहाँ है हम तू जाने कहाँ बसर करके आया रात
दस्ताने मोहब्बत अपनी बस इतनी सी है ऐ सनम
तू जहर दे तेरी ख़ुशी,चाहे पिला दे आब-ऐ-हयात....