शनिवार, 20 अगस्त 2022

करिश्मा


झूठ को सच,सच को झूठ बना दे
खुली आँखों को नया ख़्वाब दिखा दे
भूल जाए गुस्ताखियाँ,ज्यूँ हुई ही ना हों
ऐ ख़ुदा इतना बेग़ैरत, बेज़ार बना दे
ज़िस्त से हट गई है तबियत बेसाख़्ता
सकूँ भरी हो जिसमें नींद,पर ख़्वाब गुम हों
ऐसी कोई सितारों भरी तू रात बना दे….(आशा)

11 टिप्‍पणियां:

  1. सुकूँ के कुछ पल बिता सकूँ
    ऐसा कोई दिन अता फरमा दे ।

    बहुत खूब

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