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मैं...
खुद में मस्त हूँ,मलँग हूँ मैं मुझको बहुत पसंद हूँ बनावट से बहुत दूर हूँ सूफियाना सी तबियत है रेशम में ज्यूँ पैबंद हूँ... ये दिल मचलता है क...
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झूठ को सच,सच को झूठ बना दे खुली आँखों को नया ख़्वाब दिखा दे भूल जाए गुस्ताखियाँ,ज्यूँ हुई ही ना हों ऐ ख़ुदा इतना बेग़ैरत, बेज़ार बना दे ज़िस...
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खुद में मस्त हूँ,मलँग हूँ मैं मुझको बहुत पसंद हूँ बनावट से बहुत दूर हूँ सूफियाना सी तबियत है रेशम में ज्यूँ पैबंद हूँ... ये दिल मचलता है क...
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माँ वाक़िफ़ है रग रग से समझती है हर कारगुज़ारी वो भोली, नादान नहीं होती जितना तुम समझते हो, उतनीअनजान नहीं होती। चुप रहती है देख...
सुकूँ के कुछ पल बिता सकूँ
जवाब देंहटाएंऐसा कोई दिन अता फरमा दे ।
बहुत खूब
हार्दिक धन्यवाद
हटाएंshukriya
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद
हटाएंबहुत ही खूबसूरत
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद
हटाएंवाह!गज़ब कहा 👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद
हटाएंनायाब सृजन ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद
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