मैं एक कीमती झाड़-फानूस
हैडिल-विद-केयर का टैग लगाये
बड़े से महल में अकेली खड़ी हूँ
सजाये बदन पर लाखो सितारे
बहुत ऊँचे आसमाँ पर चढ़ी हूँ
बहुत नाज़ुक हूँ, शीशे की बनी हूँ
ज़मी से दूर, बहुत ऊँची टँगी हूँ
चमकती हूँ झिलमिल रोशनी से
जहाँ तक जाये नज़र बस मै ही मै हूँ.....
सभी तकते हैं बड़ी ही आरज़ू से
सभी की चाहतों में बसी हूँ
फ़क़त एक बार छूना चाहते है
मैं इंसा हूँ या कोई परी हूँ
बड़ी शिद्दत से संभाला गया है
बहुत नजाकत से ढाला गया है
बहुत सा इंतजाम-ऐ-अहतियात
खातिर मेरी माँगा गया है
घिरी हूँ तामिरगारों की भीड़ में
साँस भी लूँ तो घबराते है
ज़रा सी जुम्बिश से थर्राते है
सारा दिन सर पे मंडराते है
आह गर निकले कभी जो भूल से
दौड़ पड़ते हैं सारे,मैडम कुछ लाये क्या ?
तबियत ठीक है या डॉक्टर बुलवाये क्या?
अजब सी ख़ामोशी से जब ताकती हूँ तो ,
डर जाते हैं, और सीधा साहब को फ़ोन लगाते हैं ..........आशा