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मैं...
खुद में मस्त हूँ,मलँग हूँ मैं मुझको बहुत पसंद हूँ बनावट से बहुत दूर हूँ सूफियाना सी तबियत है रेशम में ज्यूँ पैबंद हूँ... ये दिल मचलता है क...
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झूठ को सच,सच को झूठ बना दे खुली आँखों को नया ख़्वाब दिखा दे भूल जाए गुस्ताखियाँ,ज्यूँ हुई ही ना हों ऐ ख़ुदा इतना बेग़ैरत, बेज़ार बना दे ज़िस...
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धूप का इक उजला सा टुकड़ा आंगन में उतरा चुपके से आँख का आंसू मोती बनके गालो पर ढलका चुपके से फूलों की खुशबु ले हवा चली, चली मगर बि...
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खुद में मस्त हूँ,मलँग हूँ मैं मुझको बहुत पसंद हूँ बनावट से बहुत दूर हूँ सूफियाना सी तबियत है रेशम में ज्यूँ पैबंद हूँ... ये दिल मचलता है क...