मंगलवार, 10 अगस्त 2010

मेरी कविताये

मेरी कविताये मात्र कविता ही नहीं है,
आइना है मेरी उन भावनाओ का,
जो अब तक सारे जहाँ की आँखों से दूर
मेरे मन की अँधेरी कन्द्राओ में छुपी हुयी..
वो कामनाये जो हौले से मुझे छू जाती है.
छूना गर चाहू तो बन तितली उड़ जाती हैं....
वो भावनाए, कामनाये ढल के शब्दों में
इक नदिया सी बह जाती हैं...
लाख भरु मुट्ठी में बूंदों सी बह जाती है..
देख अजनबी अनजाना छुईमुई सी मुरझाती हैं..
मेरी कविताये मात्र कविता ही नहीं है.........
ये तो वो धरोहर है,अहसासों की
जो अब तक है अनजानी,अनकही
अनसुनी,कुछ सुलझी,कुछ उलझी,
कुछ अल्हड़,कुछ शर्मीली,
कुछ खुली हुयी,कुछ छुपी हुयी
कुछ डरी हुयी, कुछ विद्रोही,
कुछ अलसाई, कुछ सोई सी...
अपने आप में खोई सी..
ले रूप कवित का आई हैं
सब से मिलने खुल कर खिलने..
स्वीकार ये मै करती हूँ फिरसे
हर शब्द लिखा है दिल से क्यूंकि....
मेरी कविताये मात्र कविताये नहीं है....

5 टिप्‍पणियां:

  1. sajeev..ye sab aapki hi prerna ka pratifal hai...mujhe ye rah dikhane ka bahut shukriya[:)]

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  2. लम्बे अंतराल के बाद फिर
    आया मेरा दोस्त

    लेकिन नहीं लगाये ठहाके

    नहीं सुनाई कविता
    और न ही मुझ पर बिगड़ा

    बल्कि धीरे-धीरे दिखाते रहा

    तकलीफ़ों के कोलतार में झुलस गए पैरों के तलुवे

    विस्फोटक पदार्थ सा छाती पर बैठा

    एक बोझ जिसमे ममता साँसें ले रही थी

    जवाब देंहटाएं

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