मंगलवार, 9 मई 2017

माँ

नयन दिया सपनो की बाती
थपकी दे ठंडी पवन सुलाती
माँ की एक घुड़की थी काफ़ी
सुबह स्कूल जाना है, सो जाओ
माँ एक बार फिर डाँटो ना....
खींच कर गोदी में ज़बरन
तेल लगा चोटी बाँधो ना
बाल रूखे है फूस जैसे
सब गिर जाएँगे तब समझेगी !
ख़ुद ही लगाती हूँ जब तेल
बालों में अब कभी
बहुत याद आती हो तुम
सच कहा था तुमने माँ
चोटी भी आधी हो गयी
ना रही वो शैतानिया
ना ही अब मैं वो रही
ना तुम हो अब पास मेरे
तेरी गुड़िया की शादी हो गयी
नींद तो अब भी है,आँखों में
ठंडी पवन भी है ज्यूँ की त्युँ
खो गया बचपन वो मेरा
वो बेफ़िक्री भी कहीं खो गयी
समय बदला,मैं भी बदली
देख माँ कितनी बड़ी मैं हो गयी
बिन किसी के कहे चुपचाप
देखो आज ख़ुद ही सो गयी....(आशा)

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