शनिवार, 20 अगस्त 2022

सुना है तुमने सब कुछ सम्भाल रक्खा है


सुना है तुमने सब कुछ सम्भाल रक्खा है
टूटे ख़्वाब,बिखरी यादें,
कुछ सोई सी ख्वाहिशें
दर्द की वो नागफनी
जो लिपटी थी सीने
सबको क़रीने से सजाके,
बंद बोतल में डाल रखा है
सुना है तुमने सब कुछ सम्भाल रक्खा है…
चुभती थी जो करिचें
पाँव में अक्सर यूँही
डर सा लगता था
दो कदम भी चलने में
समेट कर उनको तुमने
चमचमाते नायाब नए
नगीनों में ढाल रक्खा है
सुना है तमने सब कुछ सम्भाल रक्खा है…
आँख में भरी थी जो
रेत सी बेवफ़ाई की
सामने तस्वीर बेहयाई की
ज़ुल्फ़ कांधे पे गिरती थी
वो पराई थी,उफ़्फ़ ख़ुदा
ये क्या आशनाई थी
बना के उनका मुजस्सिम
तुमने क्या कमाल किया
आजको क्यूँ कल पे टाल रक्खा है
सुना है तुमने सब कुछ सम्भाल रक्खा है…(आशा)

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