मेरी हसरतें, मेरी आरज़ू
तेरी जुस्तजु,बस तू ही तू
बेचेनियों में भी सुक़ुन सा
मेरी रूह का क़रार तू
शफक ,सूफ़ेद धूप सा
मेरी राहतों का सबब भी तू
क़ुर्बान तुझ पे दो जहाँ
मेरी जीत तू, मेरी हार तू
तेरी जुस्तजु,बस तू ही तू
बेचेनियों में भी सुक़ुन सा
मेरी रूह का क़रार तू
शफक ,सूफ़ेद धूप सा
मेरी राहतों का सबब भी तू
क़ुर्बान तुझ पे दो जहाँ
मेरी जीत तू, मेरी हार तू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें