जैसा भी था,अच्छा या बुरा
खोटा या खरा मुझे अज़ीज है।
क्योंकि उसी बीते वक़्त की नींव
पर खड़ी है इमारत वर्तमान की।
जिसे शिकायत है मेरे अतीत
या वर्तमान से किसी भी तरह
प्लीज़ अपने घर रहे सक़ून से
मुझ से रिश्ते निभाना ज़रुरी नहीं....(आशा)
खोटा या खरा मुझे अज़ीज है।
क्योंकि उसी बीते वक़्त की नींव
पर खड़ी है इमारत वर्तमान की।
जिसे शिकायत है मेरे अतीत
या वर्तमान से किसी भी तरह
प्लीज़ अपने घर रहे सक़ून से
मुझ से रिश्ते निभाना ज़रुरी नहीं....(आशा)
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