कोमल कली,सुंदर फूल
सोंधी माटी,महकती धूल
मनहर वसंत,शीतल बयार
कोयल की कूक, अपनों का प्यार
सब पास था कि अचानक.........
धमाको कीजैसे घटा घिर गयी,
जीवन से खुशियाँ क्यूँ फिर गयी,
नया सिंदूर, श्रृंगार क्यूँ रूठ गया
माओ की गोदी उजड़ गयी.......
नीरवता अब चीत्कार रही
रोते सियार,गंधाता रक्त
दो शीर्षों की लोलुपता में
लुटा चमन, हुआ सब ध्वस्त...
दो नाली चलती वहां दनदन
माँ की छाती यहाँ छलनी,
तोपों के गोले वहां गिरे,
लुट गयी यहाँ नवेली घरनी....
अब पूछो उन हत्यारों को
देश के कर्णधारों को
कौन माँ कहके बुलाएगा?
कौन राखी का मोल चुकायेगा,
उजड़ी मांगे ये सवाल करे,
उन्हें फिर से कौन सजायेगा...
गीध खड़े चौराहों पर
शाखों पर उल्लू बोल रहे,
इन स्वार्थ के पुतलों की
सच्चाई हम पर खोल रहे...
छै फुट का था लम्बा चौडा
क्या खूब था सजता वर्दी में,
दुलहन ले कर वो आया था
अभी तो पिछली सर्दी में..
छाती पर घाव है गोली के
सो गया भूल हर एक धंधा,
बेटे की अर्थी बूढा कन्धा
दो देशों का गोरख धंधा
आँखे फूटी रो रो करके
भटके दर दर बूढा अँधा
माँ की उजड़ी गोदी पूछे,
मेरा लाल कहाँ से आएगा
दुल्हन की आँखे खाली है
स्वप्न कौन दिखलायेगा
बहनों की राखी रोती है,
भाई अब नहीं आएगा
पिता का एक सवाल खडा
मुखाग्नि देगा कौन मुझे
क्यालावारिस ही मर जायेगा???????????
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waoooo
जवाब देंहटाएंatankbad ko jhakjhorti hui, ek anutarit sawal puchhti hui aapki ye rachna
badhai
ufff!! jindagi ke kitne rang......pata nahi kab kya dikha de.........Baap ko bete ki arthi.....:(
जवाब देंहटाएंsach me jhakjhorti rachna.......aur
sach kahta hoon, meree kavita se jayda badhiya ban pari hai .........
God bless you!!
गीध खड़े चौराहों पर
जवाब देंहटाएंशाखों पर उल्लू बोल रहे,
इन स्वार्थ के पुतलों की
सच्चाई हम पर खोल रहे
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छाती पर घाव है गोली के
सो गया भूल हर एक धंधा,
बेटे की अर्थी बूढा कन्धा
दो देशों का गोरख धंधा
आँखे फूटी रो रो करके
भटके दर दर बूढा अँधा
asha ji
aapki rachnayen yun hi andheron ko prakashit karen ...dua karte hai
awaysome creation
aisa chintan or vichar yakinan kabil-e-daad hai
kubool karen
plz remove word varification