स्वप्न सजे जिन आँखों में,तुम कैसे उनको मून्दोगी
प्रिय जब मै समीप न हूँ,सच कहना क्या तुम रो दोगी?
प्रिय जब मै समीप न हूँ,सच कहना क्या तुम रो दोगी?
मोती जो ढलके गालों पर,उनका तुम हार बना लेना
जब वापस लौट के आऊं,जयमाल सा मुझे पहना देना
जब वापस लौट के आऊं,जयमाल सा मुझे पहना देना
तेरी सारी पीड़ा को मै,ह्रदय में अपने छुपा लूँगा
अधरों पर तेरे बरबस ही मुस्कान के फूल खिला दूंगा..
अधरों पर तेरे बरबस ही मुस्कान के फूल खिला दूंगा..
तुम विरह को समझो तप अपना मै वरदानों सा आऊंगा
आंचल में तेरे दुनिया भर की खुशियाँ मै रख जाऊंगा…
आंचल में तेरे दुनिया भर की खुशियाँ मै रख जाऊंगा…
बस कुछ दिन और प्रिये तुम को ये विरह की पीड़ा सहनी है
फिर तो जीवन भर जीवन में मधुमास की वेला रहनी है..
फिर तो जीवन भर जीवन में मधुमास की वेला रहनी है..
तुम विरह को समझो तप अपना मै वरदानों सा आऊंगा
जवाब देंहटाएंआंचल में तेरे दुनिया भर की खुशियाँ मै रख जाऊंगा…
बस कुछ दिन और प्रिये तुम को ये विरह की पीड़ा सहनी है
फिर तो जीवन भर जीवन में मधुमास की वेला रहनी है..
विरह की पीडा और मिलन की आस दोनों को कितनी खूबसूरती से बांधा है आपने इस रचना में । बधाई ।
तुम विरह को समझो तप अपना मै वरदानों सा आऊंगा
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई के पात्र है
तुम विरह को समझो तप अपना मै वरदानों सा आऊंगा
जवाब देंहटाएंआंचल में तेरे दुनिया भर की खुशियाँ मै रख जाऊंगा…
बस कुछ दिन और प्रिये तुम को ये विरह की पीड़ा सहनी है
फिर तो जीवन भर जीवन में मधुमास की वेला रहनी है..
ye panktiyan bahut madhur lagii ..shabdo ka bahav or bhaav dono hi khoobsurat hai
plz remove word varification
bahut bahut sundar abhivyakti padh ke dil ko achaa lagaa
जवाब देंहटाएंsundar kavita
जवाब देंहटाएंतुम विरह को समझो तप अपना मै वरदानों सा आऊंगा
जवाब देंहटाएंनिशब्द कर दिया आपने, मंत्रमुग्ध हो गया हू, क्या कहूँ क्या न कहूँ .............
एक ही शब्द................. अविस्मरणीय, अतुलनीय ........