बेसबब नही तेरे साथ वक़्त गुज़ारा हमने
माना की बेवफा है तू फिर भी जाने क्यूँ
जिंदगी मान लिया तुझको ऐ यारा हमने
दोस्त बनके वफादार हो जाये ये मुमकिन है...
यही सोच कर तुझे फिर से पुकारा हमने
प्यार के नाम पर दुनिया करती है सौदा...
इसलिए दोस्ती के रिश्ते को संवारा हमने
तू हमेशा सोचता है बस खुद की ही तरह
सोचने को तेरे एक नया अंदाज़ उभारा हमने
जानते है कि हम नहीं मिलेंगे कभी फिर भी
क्यूँ किया वस्ल का सौ बार इशारा हमने
दिल ही तो है आखिर, कर बैठा नादानी
बड़ी मुश्किल से इसे, मुश्किलों से उबारा हमने
आइने में भी दिखता है हमे अक्स तेरा अब तो...
मुद्दतों से कहाँ खुद को निहारा हमने....
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आशा जी आशा करता हूँ कि आप टिप्पणियों कि परवाह किये बिना हमेशा आशावान बन लिखती रहेंगी.
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