पर महबूब की इक नज़र भी सह नहीं पाते…
राहे इश्क आसाँ नही समझाया था कई बार
पर इश्क की गलियों से दूर वो रह नहीं पाते
शमा की मानिंद जले उनकी याद में शब भर
अब जाने क्यूँ हाल-ऐ -दिल उनसे कह नहीं पाते.
उनके बिना जीना है नामुमकिन मेरे दोस्त
ये जानते है फिर भी उनसे कह नहीं पाते…
ये जानते है फिर भी उनसे कह नहीं पाते…
राहे वफ़ा पे चल तो पड़े है शौक से
पर छोटी सी भी ठोकर वो सह नहीं पाते..
पर छोटी सी भी ठोकर वो सह नहीं पाते..
रुसवाइयों को इश्क का इनाम जानिए
दीवानगी हमारी ये लोग सह नहीं पाते…
दीवानगी हमारी ये लोग सह नहीं पाते…
दिल दर्द से भरा है पर आँखे नहीं गीली,
उन्हें देखने की चाह में अश्क भी बह नहीं पाते.
वो सामने आजाये तो उठती नहीं नज़रे
गर दूर हो तो बिन उनके हम रह नहीं पाते….
गर दूर हो तो बिन उनके हम रह नहीं पाते….
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राहे वफ़ा पे चल तो पड़े है शौक से
जवाब देंहटाएंपर छोटी सी भी ठोकर वो सह नहीं पाते..
बहुत कमाल की शायरी| ये इश्क चीज ही ऐसी है |
ब्रह्माण्ड
rana pratap singh ji, aapka bahut abhar
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