दर्द की हद को जब चाहा महसूस करें
चुनके गुलशन से एक गुलाब तोड़ लिया
लोग समझे के हमने फूल चुने अपने लिए
वो क्या जाने काँटों से नाता जोड़ लिया
दिल के रिसते हुए ज़ख़्म कब दिखाये हमने
रूख-ऐ-रोशन पे लिबास-ऐ-हँसी ओढ़ लिया।(आशा)
चुनके गुलशन से एक गुलाब तोड़ लिया
लोग समझे के हमने फूल चुने अपने लिए
वो क्या जाने काँटों से नाता जोड़ लिया
दिल के रिसते हुए ज़ख़्म कब दिखाये हमने
रूख-ऐ-रोशन पे लिबास-ऐ-हँसी ओढ़ लिया।(आशा)
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