शनिवार, 2 सितंबर 2017

हम आज सच कहें......

क्या सच में चाहते हो कि हम आज सच कहें
सच से तो दूर दूर तक नाता नहीं तुम्हारा.....

तनहाइयों से गहरा नाता जुड़ा हमारा...
जिक्र कही भूले से भी आता नहीं तुम्हारा.
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अब ज़िन्दगी में कोई दखल नहीं तुम्हारा

बदले है रास्ते जो,अब फिर न मुड़ सकेंगे 

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