सोच रही हूँ कभी कभी ये मौसम
कैसे बदल देता है माहौल।
सुबह सुबह की बारिश में भीगते
तन के साथ मन भी भीगा
भीगे जज्बात ,भीगे ख्यालात
भीगे सपने,और जाने क्यूँ
बिन कारण भीग गयी आँखे
कैसे बदल देता है माहौल।
सुबह सुबह की बारिश में भीगते
तन के साथ मन भी भीगा
भीगे जज्बात ,भीगे ख्यालात
भीगे सपने,और जाने क्यूँ
बिन कारण भीग गयी आँखे
बरखा ने धो डाला हर अवसाद
तन के साथ साथ मन की तपन भी
मिटा गयी रिमझिम बूँदेँ
भीगा मौन,भीगा एकांत
बाहर की भांति ,भीतर खिल उठा
मन का उपवन,भंवर डोले डार डार
सपनो की तितलियों ने किया फिर से श्रृंगार
तन के साथ साथ मन की तपन भी
मिटा गयी रिमझिम बूँदेँ
भीगा मौन,भीगा एकांत
बाहर की भांति ,भीतर खिल उठा
मन का उपवन,भंवर डोले डार डार
सपनो की तितलियों ने किया फिर से श्रृंगार
बिन बात मुस्कुराने लगी
कोई गीत गुनगुनाने लगी
कोई बात नहीं हुयी नयी
फिर भी नया सा लगा आँगन
जाने कैसे हो गए इतने परिवर्तन
बहुत सोचा,फिर भी न जान पाई
जाने कभी कभी ये मौसम
कैसे बदल देता है माहौल .........आशा
कोई गीत गुनगुनाने लगी
कोई बात नहीं हुयी नयी
फिर भी नया सा लगा आँगन
जाने कैसे हो गए इतने परिवर्तन
बहुत सोचा,फिर भी न जान पाई
जाने कभी कभी ये मौसम
कैसे बदल देता है माहौल .........आशा
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