चला चल मुसाफिर .......
कठिन तेरी राहे ,है अन्जान मंजिल
तूफां में सकीना, बहुत दूर साहिल
ना रुकना कभी तू ,ना झुकाना कभी तू
सपनो की गठरी को लादे चला चल
चला चल मुसाफिर तू यूँही चला चल
मुश्किल में साया भी छोड़ दे साथ प्यारे
फिर क्यूँ किसीका तू रास्ता निहारे
कर खुद पे भरोसा,मेहनत से मत डर
मगन अपनी धुन में तू गाता चला चल
चला चल मुसाफिर तू यूँही चला चल
हालातों की आंधी तुझे गर डराए
दुनिया तेरे पथ में कांटे बिछाए
कोई भी हो मुश्किल मत हार हिम्मत
कमर बांध प्यारे तू बढ़ता चला चल
चला चल मुसाफिर तू यूँही चला चल
ये दस्तूर दुनिया का सदियों पुराना
बढे जो भी आगे खींचे पीछे जमाना
रोते हुओं को न कोई चुप कराये
हंसते हुओं को भी ये जाने रुलाना
पीके हरेक आंसू,मुस्कुराता चला चल
चला चल मुसाफिर तू यूँही चला चल
सूरज अकेला ही चलता है प्यारे
उजाले से उसके रोशन सब नज़ारे
तू उड़ बनके आंधी,बरस बनके बरखा
चमक बन के सूरज,निखरता चला चल
खुद अपने दम पर संवारता चला चल
चला चल मुसाफिर तू यूँही चला चल ...... (आशा)
sunder prernadayak rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
संदेशप्रद रचना...
जवाब देंहटाएंखुद अपने दम पर संवारता चला चल
चला चल मुसाफिर तू यूँही चला चल
शुभकामनाएँ.
सूरज अकेला ही चलता है प्यारे
जवाब देंहटाएंउजाले से उसके रोशन सब नज़ारे----jeevan jeeney ki sarthak baat
bhawpur rachna