गरीबी रेखा
आज सुबह सुबह एक रिक्शे वाला
मोटर साईकिल से टकरा गया
देखते ही देखते भीड़ बढ़ गयी
और माहौल कुछ गरमा गया
बिन कहे दो गुट बने
एक रिक्शेवाले के साथ
दूसरा मोटर साईकिल वाले
के बचाव में आगया
किसकी गलती है बताओ
बहस भारी छिड गयी
खुद को साबित करने की
जिम्मेदारी यूँही बढ़ गयी
एक सज्जन ने सुझाया
बात को यूँ ना बढाओ
ले दे के कुछ काम पर
निकलो,समय ना गँवाओ
बात सब को भा गयी
किसको मिले मुआवजा
अब ये समस्या आ गयी
फिर किसीने समझाया
रिक्शे वाला बेचारा
नुकसान क्या भर पायेगा
इतना पैसा वो गरीब
भला कहाँ से लायेगा
इतना सुनते ही रिक्शे वाला
कुछ यूँ भड़क गया
किसको गरीब कहा बताओ?
मैं गरीब इस बात का प्रमाण लाओ
मै रोज़ साठ से सौ रुपये कमाता हूँ,
सरकार कहती है मुझे अब
गरीबी की श्रेणी में नहीं आता हूँ
रोज़ चाहे ना मिले रोज़ी-रोटी
मगर ओहदा बढ़ गया
आज मै भी गरीबी की
रेखा से ऊपर चढ़ गया.......
तकते सब मुहँ एक दूजे का
रह गए,आज भारत में बोलो
तो गरीब कहाँ रह गए ........ :-P ........ (आशा)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें