मैंने पढ़ा किताबो में बस
गाँधी ने स्वतंत्रता दिलाई थी
एक अहिंसा के हथियार से
अंग्रेजों की नींद उड़ाई थी
इक चादर,इक लाठी ले बापू
जब जिस ओर निकलते थे
गांधी टोपी पहने लाखों
उनके संग संग चलते थे
गाँधी के पीछे सर्वस्व छोड़
जन-सैलाब उमड़ता था
तब सोचा करती थी पहरों
कैसे उनमे इतना जोश
उमड़ता था.........
कैसे त्याग सभी वैभव,सुख
तन-मन को अर्पण करते थे
कैसे बापू की इक बोली पर
सब उनके पीछे चलते थे
घर,परिवार से पहले देश है
कैसे ये भाव ह्रदय समाता था
हर आपद को हंस कर सहना
कैसे इतना संयम आता था
क्या गाँधी थे कोई जादूगर
सम्मोहन कोई करते थे
कैसे सारे लोग उनकी ओर
यूँ सम्मोहित से तकते थे
आज मिले उत्तर सारे,कैसे
अलख अनोखा जागा था
कैसे इक बापू से डर कर
फिरंगी देश से भागा था
फिर गाँधी जन्मा भारत में
नाम है अन्ना हजारे..
धर्म,जाति,मज़हब के बंधन
तोड़ के संग आये सारे
तब अनशन और सत्याग्रह से
फिरंगी को देश से भगाया था
बच्चा बच्चा बन गाँधी
तब सड़को पर आया था.
आज तोड़नी है फिर बेडी
हमको भ्रष्टाचार की
अन्ना की आंधी से हिल गयी
चूले भ्रष्ट सरकार की
मै भी अन्ना ये नारा
जन जनने दोहराया है
एक परिवर्तन की आंधी बन
अन्ना दिल्ली में आया है..................
बूढ़ी काया में जाने कैसे
इतना जोश समाया है
अन्ना के हठ से डर कर
हाकिम कदमो पे आया है
सदा वेश, सरल सी काया
अदभुद मुख पर तेज है
अन्ना का संकल्प अनोखा
हम सबसे पहले देश है
जन लोकपाल बने कानून
यही एक जिद ठानी है
भ्रष्टाचार के दुश्शासन से
देश की लाज बचानी है
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