पड़े बहुत से पोथीपत्रे ,
पढ़े बहुत से लेख...
सच की करते बाते सारे,
बस सच का ही उपदेश...
चहरे पे शीतलताई,
नयन में क्यूँ चतुराई
मै मूरख समझ ना पायी,
आखिर क्या है सच्चाई.....
मिले बहुत से ज्ञाता गुरु
मिले महान समाज सुधारक
दिन जनों के दुःख हरता
अनाथ जनों के पालक
मगर है बड़ी कठिनाई
कि बिगड़ी बन ना पायी....
नारी का सम्मान बचाते
लड़ते सब कुप्रथा से
भूर्ण हत्या के विरोध में
नित दिन अनशन करते
भाषण देते घर घर जा कर
बेटी साक्षात् लक्ष्मी मायी,
निज कुल को बस एक कुलदीपक
लक्ष्मी की चाह ना भाई,
पर नारी है एक खिलौना
निज घरनी सम्मानित
सीता हो या हो पांचाली
सदा हुयी अपमानित
दूजे की बहन भौजाई
कहाँ परवाह है भाई......
शासन हो सब रीती निति संग
यदि हम विपक्ष में बैठें...
सत्ता सुख पाते ही यारो
नोटों के तकिये पे लेटे..
नशा ये गज़ब है भाई..
सारी दुनिया बौराई....
आँख मूंद बैठा है हाकिम
डाकू बन बैठे रखवाले
सच्चों का है जीना दूभर
दुश्मन को रखा संभाले
वो खाता दूध मलाई
अज़ब ये खेल है भाई......
भांति-भांति के करतब जग में
गजब के कलाकार सब भाई
मुह में राम बगल में छुरी
कितनी सुन्दरता से छुपायी...
ये दुनिया की चतुराई
कुछ भी समझ ना आई....
आज मै हूँ बौराई,मेरी बुद्धि चकराई
अज़ब तमाशा करे ये दुनिया,
बेबस रब की खुदाई,
गांधारी की पट्टी बांधी
कुछ ना दे सुझाई,
तुम्ही बताओ,किस दर जाऊं,
किसकी करूँ दुहाई...
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ASHA
bahut sunder rachna, stri ke bebasi, satta ka nasha, nakab odhe duniya, sach ye sab dekh kar to baura hi jate hain.
जवाब देंहटाएंvicharniya rachna.
shubhkamnayen
यह अन्दाज़ तो एकदम जुदा सा लगा.
जवाब देंहटाएंइसी रचना के साथ आपको फोल्लो कर रहा हूँ उम्मीद है हमेशा आपकी सुंदर रचनाये पढने को मिलेगी
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