एक अदना सा अन्ना
चाहे बंद हो भ्रष्टाचार
एक हूँक जनता ने मारी
डोल गयी सरकार,
जगाई अलख अनोखी
निडर भीड़,निशस्त्र खड़ी
हाकिम बांचे क़ानूनी पोथी
नया सा नियम बनाया
साथ जो चले चार जन
पकड़ के उन्हें मंगाया
जेल सारे भर जाये
पर संकल्प यही है मन में
हम भ्रष्टाचार मिटाए
बड़ी अब भीड़ है भारी
सादा वेश,सरल सी भाषा
द्रढ़ संकल्प धारी
ज्यूँ बापू फिर से आया
अनशन का हथियार अनोखा
जनता को फिर से थमाया
धीमा सा स्वर मन भाए
वो चल पड़े जिस राह अकेले
जन सैलाब उमड़ता जाये
उड़ी है नींदे हाकिम की
अन्ना तेरा शांति व्रत
इनको कभी ना भाया
दिन आज़ादी के हाकिम ने
सब को यूँ धमकाया
करो मत हल्ला-गुल्ला
कुछ ना होगा भूखे रह कर
मिलेगा हथकड़ी का छल्ला
ठूँसा जेल में सबको
जनता को ठगना यूँ फिरसे
भरी पड़ेगा अबतो
के जागी जनता सारी
लगता है हुयी फिरसे
आपातकाल की तैयारी......
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