गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

स्वप्न परी...........


बहुत थकी हैं आँखे मेरी
स्वप्न परी तुम आओ,आओ धीरे से
स्वप्न कोई चंचल, मीठा सा
पलको पर रखा जाओ,आओ धीरे से

नयन मूंद बैठी हूँ तुम आओ धीरे से
इक मीठी सी थपकी दे आज सुलाओ
डाल उँगलियाँ उलझी अलकों में
सुलझा, सहला जाओ,आओ धीरे से 

क्लांत ह्रदय की हर एक लहर
तुमको बुला रही है,आओ धीरे से
आज ह्रदय की थकन मिटाओ
मन को बहला जाओ,आओ धीरे से

तुम इतनी सहृदय कैसे हो
मुझको बतलाओ धीरे से
अपनी ठंडी नरम हथेली
आँखों पर रख जाओ,धीरे से...........

2 टिप्‍पणियां:

  1. swapn ek aisa shabd jiske liye har kavi kuchh na kuchh jarur likhta hai...:)

    pyari rachna..!!

    kabhi hamare blog pe dustak den!!

    जवाब देंहटाएं
  2. क्लांत ह्रदय की हर एक लहर
    तुमको बुला रही है,आओ धीरे से
    आज ह्रदय की थकन मिटाओ
    मन को बहला जाओ,आओ धीरे से
    सपने को निमंत्रण, वाह क्या बात है बहुत सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई देर से आपके व्लाग पर आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ |

    जवाब देंहटाएं

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