बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

मैंने तुमसे ये कब कहा...........


मैंने तुमसे ये कब कहा की तुम मुझे




बस मुझ को ही प्यार करो



तोड़ कर सारी रिवायते मुझको चाहो



सारी दुनिया को दरकिनार करो



कभी चाँद भी नहीं माँगा तुमसे



ना तारो की फरमाइश की



मैंने तो सिर्फ चाहा था तुम्हे



तुम्हारी हर खूबी और हर कमी



तुम्हारा गुस्सा,तुम्हारा प्यार



तुम्हारी नफरते,तुम्हारी चाहते



सब को अपना लिया था यूँ



जैसे तुमको अपनाया था




फिर तुम क्यूँ नहीं अपना लेते



मेरी हर खूबी ,हर कमी को



वैसे ही, जैसे मुझे अपना बनाया था कभी.....



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1 टिप्पणी:

  1. बहुत मुश्किल होता है , किसी को उसी रूप में निभाना जिसमे प्यार किया था ...
    मैंने कब तुमसे कहा था की मुझे प्यार करो ...गीत याद आ रहा है !

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