क्या जानते हो तुम्हारी नर्म
ठण्डी हथेलियों में जादू हैकोई भी मुश्किल,परेशानी
जो बल डाल दे मेरी पेशानी पर
तुम्हारी ठण्डी छुवन से पल में
गुल हो जाती है,कैसे होता है
ये जादू जरा बताओ तो !
जब भी रखते हो इन्हें
धीरे से मेरी थकी आँखों पर
हर जलन मिट जाती है
भूल जाती हूँ सारे तनाव
और नींद कितनी चुपके से
मेरी आँखों में भर जाती है
कैसे तुम्हारी हथेलियों की
ठंडक मेरे नसों में उतरती है
जरा बताओ तो !
सारी दुनिया की परेशानियाँ
अपने माथे लेने का शौक
जाने क्यूँ है मुझे?
औ " फिर उन परेशानियों के
भंवर में घूमती रहती हूँ
खुद भी परेशान,तुम्हे भी सताती हूँ
औ" फिर जब चलता है
तुम्हारी ठण्डी हथेलियों का जादू
जाने सारी मुसीबतें
कहाँ मुह छुपा लेती है
सकून उतर आता है रूह में
जिंदगी आसन हो जाती है
कैसे होता है ये सब,
सोचती हूँ कभी कभी
तुम्हे पता है क्या?
जरा बताओ तो !
कैसे होता है ये सब,
जवाब देंहटाएंसोचती हूँ कभी कभी
तुम्हे पता है क्या?
जरा बताओ तो !
कुछ बातें सिर्फ महसूस की जाती है
सुन्दर भावो को समेटे एक अच्छी रचना