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मैं...
खुद में मस्त हूँ,मलँग हूँ मैं मुझको बहुत पसंद हूँ बनावट से बहुत दूर हूँ सूफियाना सी तबियत है रेशम में ज्यूँ पैबंद हूँ... ये दिल मचलता है क...
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खुद में मस्त हूँ,मलँग हूँ मैं मुझको बहुत पसंद हूँ बनावट से बहुत दूर हूँ सूफियाना सी तबियत है रेशम में ज्यूँ पैबंद हूँ... ये दिल मचलता है क...
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नित नए संकल्प लिए उगता है मेरा हर दिन और ह्रदय में उमड़ते नित नए बवंडर विचारों की बरसात में भीगती,खयाली पुलाव पकाती,खुद ही मुस्कुर...
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झूठ को सच,सच को झूठ बना दे खुली आँखों को नया ख़्वाब दिखा दे भूल जाए गुस्ताखियाँ,ज्यूँ हुई ही ना हों ऐ ख़ुदा इतना बेग़ैरत, बेज़ार बना दे ज़िस...
बहुत सच कहा है. मौन की भी अपनी भाषा होती है और जो समझना चाहे वह ज़रूर समझ जाता है..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति का आपका यह अंदाज़ बहुत खूबसूरत है।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं।
मौन ही श्रेयकर साधन है
जवाब देंहटाएंस्वयं की अभिव्यक्ति का
तुमसे स्नेह करने वाले
मौन को पढ़ लेंगे खुद ही
और बाकि बिना कोई अपवाद
चुपचाप आगे निकल जायेंगे....
बेशक ..सागर में गागर
कमाल कर दिया ..क्या लिखा है चंद पंक्तियों में या यूँ कहो की जैसे मेरे ही भावों को आपने अपने शब्द दे दिए है इसलिए इतना दिल में उतर gaya