बुधवार, 31 अगस्त 2011

तन्हा.... चांदनी

ईद का चाँद रोशन है,
आसमान की गोद में 
वो मुस्कुरा रहा है
चमका के सितारे और
मेरी पलकें नम है,होंठों 
पे हंसी सज़ा रखी है
सब है यहाँ पास मेरे लेकिन,
मेरी चांदनी तन्हा है,
बहुत दूर मेरे आँचल से 
औ' ईद का चाँद रोशन है........


अभी बढ़ेगी चमक उसकी
और फिर मेरा घर ही नहीं
पूरी दुनिया रोशन होगी
मेरी छोटी सी किरण बढ़ेगी
औ' चाँद बनके चमकेगी पर, 
अभी वक़्त बहुत है बाकि
तब तलक दूर कहीं
मेरी चांदनी है तन्हा
बहुत दूर मेरे आँचल से 
और ईद का चाँद रोशन है.........

3 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी छोटी सी किरण बढ़ेगी
    औ' चाँद बनके चमकेगी पर,

    mamta ke ras se bhari ek anmol rachna ke liye hriday se badhai

    ssneh shubhkamnayen

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर, बहुत खूबसूरत....
    ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  3. hamare sapne bache hi pure kerenge.....tum khush kismat ho jo bache khushi de rahe hain..aapki tanhayi rang layegi ake din di...

    जवाब देंहटाएं

मैं...

  खुद में मस्त हूँ,मलँग हूँ मैं मुझको बहुत पसंद हूँ बनावट से बहुत दूर हूँ सूफियाना सी तबियत है रेशम में ज्यूँ पैबंद हूँ... ये दिल मचलता है क...