नित नए संकल्प लिए
उगता है मेरा हर दिन
और ह्रदय में उमड़ते
नित नए बवंडर
विचारों की बरसात में
भीगती,खयाली पुलाव
यूँ ही आहिस्ता -आहिस्ता
फिरसे कल दिन उगेगा मेरा
लिए नए सकल्प,नए बवंडर........
उगता है मेरा हर दिन
और ह्रदय में उमड़ते
नित नए बवंडर
विचारों की बरसात में
भीगती,खयाली पुलाव
पकाती,खुद ही मुस्कुराती
जाने कितने स्वप्न बुनती हूँ
कुछ खुशियों के महकते फूल,
थोड़े आंसू,थोड़े गम के कांटे
सारा दिन पलकों से चुनती हूँ
भागती फिरती हूँ,अनजानी सी
अनकही बाते जाने कैसे सुनती हूँ
लोग कहते है,तुम पगली हो
मान लेती हूँ चुपसे,औ
इस तरह पल-पल सरकता है
मन मेरा रेत सा दरकता है
अनबुझ पहेली सी मैं दिखती हूँ
बीत जाती है मेरी हर साँझयूँ ही आहिस्ता -आहिस्ता
फिरसे कल दिन उगेगा मेरा
लिए नए सकल्प,नए बवंडर........