मेरी कविताये मात्र कविता ही नहीं है,
आइना है मेरी उन भावनाओ का,
जो अब तक सारे जहाँ की आँखों से दूर
मेरे मन की अँधेरी कन्द्राओ में छुपी हुयी..
वो कामनाये जो हौले से मुझे छू जाती है.
छूना गर चाहू तो बन तितली उड़ जाती हैं....
वो भावनाए, कामनाये ढल के शब्दों में
इक नदिया सी बह जाती हैं...
लाख भरु मुट्ठी में बूंदों सी बह जाती है..
देख अजनबी अनजाना छुईमुई सी मुरझाती हैं..
मेरी कविताये मात्र कविता ही नहीं है.........
ये तो वो धरोहर है,अहसासों की
जो अब तक है अनजानी,अनकही
अनसुनी,कुछ सुलझी,कुछ उलझी,
कुछ अल्हड़,कुछ शर्मीली,
कुछ खुली हुयी,कुछ छुपी हुयी
कुछ डरी हुयी, कुछ विद्रोही,
कुछ अलसाई, कुछ सोई सी...
अपने आप में खोई सी..
ले रूप कवित का आई हैं
सब से मिलने खुल कर खिलने..
स्वीकार ये मै करती हूँ फिरसे
हर शब्द लिखा है दिल से क्यूंकि....
मेरी कविताये मात्र कविताये नहीं है....
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मैं...
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शेर लिखो,ग़ज़ल या कलाम लिखो ख़ुद ही पढ़ो, ख़ुद ही दाद भी दो ख़ुद ही ढूँढो ख़ामियाँ बनावट में ख़ुद ही तारीफ़ के अल्फ़ाज़ कहो क्यूँकि ज़म...
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नित नए संकल्प लिए उगता है मेरा हर दिन और ह्रदय में उमड़ते नित नए बवंडर विचारों की बरसात में भीगती,खयाली पुलाव पकाती,खुद ही मुस्कुर...
एहसास भी होती है कवितायेँ
जवाब देंहटाएंWOW FOUND A NEW ASHA TODAY....GREAT KEEP IT UP
जवाब देंहटाएंabhinn ji...aapyahan tak aaye aabhari hun..
जवाब देंहटाएंsajeev..ye sab aapki hi prerna ka pratifal hai...mujhe ye rah dikhane ka bahut shukriya[:)]
जवाब देंहटाएंलम्बे अंतराल के बाद फिर
जवाब देंहटाएंआया मेरा दोस्त
लेकिन नहीं लगाये ठहाके
नहीं सुनाई कविता
और न ही मुझ पर बिगड़ा
बल्कि धीरे-धीरे दिखाते रहा
तकलीफ़ों के कोलतार में झुलस गए पैरों के तलुवे
विस्फोटक पदार्थ सा छाती पर बैठा
एक बोझ जिसमे ममता साँसें ले रही थी